Mat Banto Insane Ko Hindi Poem
मंदिर-मस्जिद-गिरजाघर ने
बाँट लिया भगवान को ।
धरती बाँटी सागर बाँटा
मत बाँटो इंसान को ।।
अभी राह तो शुरू हुई है
मंज़िल बैठी दूर है।
उजियाला महलों में बंदी –
हर दीपक मजबूर है।
मिला न सूरज का संदेसा –
हर घाटी-मैदान को।
धरती बाँटी सागर बाँटा
मत बाँटो इंसान को ।
अब भी हरी भरी धरती है
ऊपर नील वितान है।
पर न प्यार हो तो जग सूना
जलता रेगिस्तान है।
अभी प्यार का जल देना है
हर प्यासी चट्टान को।
धरती बाँटी सागर बाँटा
मत बाँटो इंसान को ।
साथ उठें सब तो पहरा हो
हरसूरज का हर द्वार पर ।
उदास आँगन का हक हो –
खिलती हुई बहार पर।
रौंद न पाएगा फिर कोई
मौसम की मुसकान को ।
धरती बाँटी सागर बाँटा
मत बाँटो इंसान को ।
Tags: Hindi Poem, Hindi Quotes, Mat Banto Insane Ko Hindi Poem, Motivational Poem, Poems, मत बाँटो इंसान को, हिन्दी कविताएं